EP 27 : Sindhi Poem by Shri Dholan Rahi
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अजमेर निवासी , हिंद -सिंध के प्रतिष्ठित कवि, नाट्यकार, गायक और, साहित्यकार ढोलण राही जी ने पूछा है सिंधियों से आप सिंधी हो ? सिंधी हों ना! ,तो क्यों नही सिंधी में बात करते? जब पशु- पक्षी भी अपनी भाषा में बतियाते हैं तो हम तो इंसान है ! हमें भी अपनी ज़बान में बात करनी चाहिए। हम सिंधियों ने अपनी ज़मीन ,जायदाद अपना वतन तक छोड़ा, वह हमारी मजबूरी थी। भाषा को तो जिंदा रखना हमारा फ़र्ज है ना?!! सब छोड़ना मंजूर पर भाषा को कैसे भुलाएं। अभी भी वक्त है, आपस में अपनी मातृभाषा में बात करें। यही अपनी सोच को ढोलण राही जी ने इस कविता में प्रकट किए हैं।
क्या आप भी घर में सिंधी में बात करते है।अगर हां तो कमेंट में जय झूलेलाल लिखें।
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