Artwork

İçerik Nayi Dhara Radio tarafından sağlanmıştır. Bölümler, grafikler ve podcast açıklamaları dahil tüm podcast içeriği doğrudan Nayi Dhara Radio veya podcast platform ortağı tarafından yüklenir ve sağlanır. Birinin telif hakkıyla korunan çalışmanızı izniniz olmadan kullandığını düşünüyorsanız burada https://tr.player.fm/legal özetlenen süreci takip edebilirsiniz.
Player FM - Podcast Uygulaması
Player FM uygulamasıyla çevrimdışı Player FM !

Vo Ped | Shashiprabha Tiwari

2:30
 
Paylaş
 

Manage episode 450076721 series 3463571
İçerik Nayi Dhara Radio tarafından sağlanmıştır. Bölümler, grafikler ve podcast açıklamaları dahil tüm podcast içeriği doğrudan Nayi Dhara Radio veya podcast platform ortağı tarafından yüklenir ve sağlanır. Birinin telif hakkıyla korunan çalışmanızı izniniz olmadan kullandığını düşünüyorsanız burada https://tr.player.fm/legal özetlenen süreci takip edebilirsiniz.

वो पेड़ | शशिप्रभा तिवारी

तुमने घर के आंगन में

आम के गाछ को रोपा था

तुम उसी के नीचे बैठ कर

समय गुज़ारते थे

उसकी छांव में

लोगों के सुख दुख सुनते थे

उस पेड़ के डाल के पत्ते

उसके मंजर

उसके टिकोरे

उसके कच्चे पक्के फल

सभी तुमसे बतियाते थे

जब तुम्हारा मन होता

अपने हाथ से उठाकर

किसी के हाथ में आम रखते

कहते इसका स्वाद अनूठा है

वह पेड़ किसी को भाता था

किसी को नहीं भी

जैसे तुम कहते थे

हर कोई मुझे पसंद करे

ज़रूरी तो नहीं

पेड़ वहीं खड़ा आज भी

तुम्हारी राह देखता है

वह भूल गया है कि

टूटे पत्ते, डाल, फल

दोबारा उसके तने से

नहीं जुड़ सकते

केशव!

तुम भरी दोपहरी में

उस पेड़ को याद दिला दो

कि तुम द्वारका से

मथुरा की गलियों को

नहीं लौट सकते

इस सफर में

कदम-कदम आगे ही बढ़ते हैं

लौटना और वापस लौटना

ज़िन्दगी में नहीं होता

उम्र की तरह

उसकी गिनती रोज़ बढ़ती जाती है

तुम्हारे आंगन का

वो पेड़

मुझे मेरी ज़िन्दगी के किस्से

याद दिलाता है

माधव! क्या करूं?

  continue reading

610 bölüm

Artwork
iconPaylaş
 
Manage episode 450076721 series 3463571
İçerik Nayi Dhara Radio tarafından sağlanmıştır. Bölümler, grafikler ve podcast açıklamaları dahil tüm podcast içeriği doğrudan Nayi Dhara Radio veya podcast platform ortağı tarafından yüklenir ve sağlanır. Birinin telif hakkıyla korunan çalışmanızı izniniz olmadan kullandığını düşünüyorsanız burada https://tr.player.fm/legal özetlenen süreci takip edebilirsiniz.

वो पेड़ | शशिप्रभा तिवारी

तुमने घर के आंगन में

आम के गाछ को रोपा था

तुम उसी के नीचे बैठ कर

समय गुज़ारते थे

उसकी छांव में

लोगों के सुख दुख सुनते थे

उस पेड़ के डाल के पत्ते

उसके मंजर

उसके टिकोरे

उसके कच्चे पक्के फल

सभी तुमसे बतियाते थे

जब तुम्हारा मन होता

अपने हाथ से उठाकर

किसी के हाथ में आम रखते

कहते इसका स्वाद अनूठा है

वह पेड़ किसी को भाता था

किसी को नहीं भी

जैसे तुम कहते थे

हर कोई मुझे पसंद करे

ज़रूरी तो नहीं

पेड़ वहीं खड़ा आज भी

तुम्हारी राह देखता है

वह भूल गया है कि

टूटे पत्ते, डाल, फल

दोबारा उसके तने से

नहीं जुड़ सकते

केशव!

तुम भरी दोपहरी में

उस पेड़ को याद दिला दो

कि तुम द्वारका से

मथुरा की गलियों को

नहीं लौट सकते

इस सफर में

कदम-कदम आगे ही बढ़ते हैं

लौटना और वापस लौटना

ज़िन्दगी में नहीं होता

उम्र की तरह

उसकी गिनती रोज़ बढ़ती जाती है

तुम्हारे आंगन का

वो पेड़

मुझे मेरी ज़िन्दगी के किस्से

याद दिलाता है

माधव! क्या करूं?

  continue reading

610 bölüm

Tüm bölümler

×
 
Loading …

Player FM'e Hoş Geldiniz!

Player FM şu anda sizin için internetteki yüksek kalitedeki podcast'leri arıyor. En iyi podcast uygulaması ve Android, iPhone ve internet üzerinde çalışıyor. Aboneliklerinizi cihazlar arasında eş zamanlamak için üye olun.

 

Hızlı referans rehberi