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01-02-03
Manage episode 166925298 series 1319026
01-02
सञ्जय उवाच
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्।।1.2।।
पदच्छेतः
दृष्ट्वा, तु, पाण्डवानीकम्, व्यूढम्, दुर्योधनः, तदा।
आचार्यम्, उपसङ्गम्य, राजा, वचनम्, अब्रवीत्॥
पदपरिचयः
पदम् | विवरणम् | पदम् | विवरणम् |
दृष्ट्वा | अव्ययम् | तु | अव्ययम् |
पाण्डवानीकम् | अ. नपुं. द्वि. एक. | व्यूढम् | अ. नपुं. द्वि. एक. |
दुर्योधनः | अ. पुं. प्र. एक. | तदा | अव्ययम् |
आचार्यम् | अ. पुं. द्वि. एक. | उपसङ्गम्य | अव्ययम् |
राजा | राजन्-न. पुं. प्र. एक. | वचनम् | अ. नपुं. द्वि. एक. |
अब्रवीत् | ब्रुञ्-पर. कर्तरि लङ् प्रपु. एक. |
पदार्थः
पदम् | अर्थः | पदम् | अर्थः |
तदा तु | तदानीं तु | व्यूढम् | व्यूहत्वेन स्थापितम् |
पाण्डवानीकम् | पाण्डवसैन्यम् | दृष्ट्वा | अवलेक्य |
राजा | नृपः | दुर्योधनः | दुर्योधनः |
आचार्यम् | गुरुं द्रोणम् | उपसङ्गम्य | उपसृत्य |
वचनम् | वाक्यम् | अब्रवीत् | अवदम् |
अन्वयः
तदा तु व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्।
आकाङ्क्षा
अब्रवीत् | |
कः अब्रवीत्? | दुर्योधनः अब्रवीत्। |
कीदृशः दुर्योधनः अब्रवीत्? | राजा दुर्योधनः अब्रवीत्। |
राजा दुर्योधनः किम् अब्रवीत्? | राजा दुर्योधनः वचनम् अब्रवीत्। |
राजा दुर्योधनः किं कृत्व वचनम् अब्रवीत्? | राजा दुर्योधनः उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
राजा दुर्योधनः कम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? | राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
पुनश्च किं कृत्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? | दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
किं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? | पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
कीदृशं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? | व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
कदा व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? | तदा तु व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? |
तात्पर्यम्
तदा व्यूहरूपेण स्थापितं पाण्डवानां सैन्यं दृष्ट्वा दुर्योधनः गुरोः द्रोणाचार्यस्य समीपं गत्वा इदं वचनम् अवदत्।
व्याकरणम्
सन्धिः
पाण्डवानीकं व्यूढं | पाण्डवानीकम् + व्यूढं | अनुस्वारसन्धिः |
व्यूढं दुर्योधनस्तदा | व्यूढम् + दुर्योधनस्तदा | अनुस्वारसन्धिः |
दुर्योधनस्तदा | दुर्योधनः + तदा | विसर्गसन्धिः (सकारः) |
समासः
पाण्डवानीकम् | पाण्डावानाम् अनीकम्, तत् | षष्टीतत्पुरुषः। |
कृदन्तः
दृष्ट्वा | दृशिर् + कृत्वा |
व्यूढम् | वि + वह् + क्त (कर्मणि) आकारविशेषवत्त्वेन विभक्तम् इत्यर्थः। |
उपसङ्गम्य | उप + सम् + गम्लृ + ल्यप् |
आचार्यः | आ + चर् + ण्यत्। आचरणीयः (सेवनीयः) आचार्यः। |
वचनम् | वच् + ल्युट् (करणे) उच्यते अनेन इति वचनम्। |
01-03
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता।।1.3।।
पदच्छेतः
पश्य, एताम्, पाणहुपु्त्राणाम्, आचार्य, महतीम्, चमूम्।
व्यूढाम्, द्रुपदपुत्रेण, तव, शिष्येण, धीमता॥
पदपरिचयः
पदम् | विवरणम् | पदम् | विवरणम् |
पश्य | दृशिर्-पर. कर्तरि. लोट् मपु. एक. | एताम् | एतद्-द. सर्व. स्त्री. द्वि. एक. |
पाणहुपु्त्राणाम् | अ. पुं. ष. बहु. | आचार्य | अ. पुं. सम्बो. एक. |
महतीम् | ई. स्त्री. द्वि. एक. | चमूम् | ऊ. स्त्री. द्वि. एक. |
व्यूढाम् | आ. स्त्री. द्वि. एक. | द्रुपदपुत्रेण | अ. पुं. ष. बहु. |
तव | युष्मद्-द. सर्व. ष. एक. | शिष्येण | अ. पुं. तृ. एक. |
धीमता | धीमत्-त. पुं. तृ. एक. |
पदार्थः
पदम् | अर्थः | पदम् | अर्थः |
आचार्य | भोः द्रोणाचार्य! | तव | भवतः |
धीमता | बुद्धिमता | शिष्योण | छात्रेण |
द्रुपतपुत्रेण | धृष्टध्युम्नेन | व्यूढाम् | व्यूहरूपेण स्थापिताम् |
पाण्डुपुत्राणाम् | पाण्डावानाम् | एताम् | एनाम् |
महतीम् | बृहतीम् | चमूम् | सेनाम् |
पश्य | वीक्षस्व |
अन्वयः
आचार्य! तव धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीं एतां चमूं पश्य।
आकाङ्क्षा
पश्य। | |
कां पश्य? | चमूं पश्य। |
कां चमूं पश्य? | एतां चमूं पश्य। |
कीदृशीम् एतां चमूं पश्य? | महतीम् एतां चमूं पश्य। |
केषां महतीम् एतां चमूं पश्य? | पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
कीदृशीं पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? | व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
केन व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? | द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
कीदृशेन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? | शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
पुनश्च कीदृशेन शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? | धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
कस्य धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? | तव धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
अस्मिन् श्लोके सम्बोधनपदं किम् ? | आचार्य! |
तात्पर्यम्
भोः आचार्य! चतुरेण तव शिष्येण धृष्टद्युम्नेन पाण्डवानां महत् सैन्यमिदम् व्यूहरूपेण स्थापितम् अस्ति। इदं पश्य।
व्याकरणम्
सन्धिः
पश्यैतां | पश्य + एताम् | वृद्धिसन्धिः |
महतीं चमूम् | महतीम् + चमूम् | अनुस्वारसन्धिः |
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण | व्यूढां + द्रुपदपुत्रेण | अनुस्वारसन्धिः |
समासः
पाणहुपु्त्राणाम् | पाण्डोः पुत्राः, तेषाम् | षष्ठीतत्पुरुषः। |
द्रुपदपुत्रेण | द्रुपतस्य पुत्रः. तेन | षष्ठीतत्पुरुषः। |
कृदन्तः
व्यूढाम् | वि + वह् + क्त (कर्मणि) |
आचार्यः | आ + चर् + ण्यत्। आचरणीयः (सेवनीयः) आचार्यः। |
तत्वितान्तः
धीमता | धीः + मतृप्, तेन। धीः अस्य अस्मिन् वा अस्ति इति धीमान्। |
33 bölüm
Manage episode 166925298 series 1319026
01-02
सञ्जय उवाच
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्।।1.2।।
पदच्छेतः
दृष्ट्वा, तु, पाण्डवानीकम्, व्यूढम्, दुर्योधनः, तदा।
आचार्यम्, उपसङ्गम्य, राजा, वचनम्, अब्रवीत्॥
पदपरिचयः
पदम् | विवरणम् | पदम् | विवरणम् |
दृष्ट्वा | अव्ययम् | तु | अव्ययम् |
पाण्डवानीकम् | अ. नपुं. द्वि. एक. | व्यूढम् | अ. नपुं. द्वि. एक. |
दुर्योधनः | अ. पुं. प्र. एक. | तदा | अव्ययम् |
आचार्यम् | अ. पुं. द्वि. एक. | उपसङ्गम्य | अव्ययम् |
राजा | राजन्-न. पुं. प्र. एक. | वचनम् | अ. नपुं. द्वि. एक. |
अब्रवीत् | ब्रुञ्-पर. कर्तरि लङ् प्रपु. एक. |
पदार्थः
पदम् | अर्थः | पदम् | अर्थः |
तदा तु | तदानीं तु | व्यूढम् | व्यूहत्वेन स्थापितम् |
पाण्डवानीकम् | पाण्डवसैन्यम् | दृष्ट्वा | अवलेक्य |
राजा | नृपः | दुर्योधनः | दुर्योधनः |
आचार्यम् | गुरुं द्रोणम् | उपसङ्गम्य | उपसृत्य |
वचनम् | वाक्यम् | अब्रवीत् | अवदम् |
अन्वयः
तदा तु व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्।
आकाङ्क्षा
अब्रवीत् | |
कः अब्रवीत्? | दुर्योधनः अब्रवीत्। |
कीदृशः दुर्योधनः अब्रवीत्? | राजा दुर्योधनः अब्रवीत्। |
राजा दुर्योधनः किम् अब्रवीत्? | राजा दुर्योधनः वचनम् अब्रवीत्। |
राजा दुर्योधनः किं कृत्व वचनम् अब्रवीत्? | राजा दुर्योधनः उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
राजा दुर्योधनः कम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? | राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
पुनश्च किं कृत्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? | दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
किं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? | पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
कीदृशं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? | व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्। |
कदा व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? | तदा तु व्यूढं पाण्डवानीकं दृष्ट्वा राजा दुर्योधनः आचार्यम् उपसङ्गम्य वचनम् अब्रवीत्? |
तात्पर्यम्
तदा व्यूहरूपेण स्थापितं पाण्डवानां सैन्यं दृष्ट्वा दुर्योधनः गुरोः द्रोणाचार्यस्य समीपं गत्वा इदं वचनम् अवदत्।
व्याकरणम्
सन्धिः
पाण्डवानीकं व्यूढं | पाण्डवानीकम् + व्यूढं | अनुस्वारसन्धिः |
व्यूढं दुर्योधनस्तदा | व्यूढम् + दुर्योधनस्तदा | अनुस्वारसन्धिः |
दुर्योधनस्तदा | दुर्योधनः + तदा | विसर्गसन्धिः (सकारः) |
समासः
पाण्डवानीकम् | पाण्डावानाम् अनीकम्, तत् | षष्टीतत्पुरुषः। |
कृदन्तः
दृष्ट्वा | दृशिर् + कृत्वा |
व्यूढम् | वि + वह् + क्त (कर्मणि) आकारविशेषवत्त्वेन विभक्तम् इत्यर्थः। |
उपसङ्गम्य | उप + सम् + गम्लृ + ल्यप् |
आचार्यः | आ + चर् + ण्यत्। आचरणीयः (सेवनीयः) आचार्यः। |
वचनम् | वच् + ल्युट् (करणे) उच्यते अनेन इति वचनम्। |
01-03
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता।।1.3।।
पदच्छेतः
पश्य, एताम्, पाणहुपु्त्राणाम्, आचार्य, महतीम्, चमूम्।
व्यूढाम्, द्रुपदपुत्रेण, तव, शिष्येण, धीमता॥
पदपरिचयः
पदम् | विवरणम् | पदम् | विवरणम् |
पश्य | दृशिर्-पर. कर्तरि. लोट् मपु. एक. | एताम् | एतद्-द. सर्व. स्त्री. द्वि. एक. |
पाणहुपु्त्राणाम् | अ. पुं. ष. बहु. | आचार्य | अ. पुं. सम्बो. एक. |
महतीम् | ई. स्त्री. द्वि. एक. | चमूम् | ऊ. स्त्री. द्वि. एक. |
व्यूढाम् | आ. स्त्री. द्वि. एक. | द्रुपदपुत्रेण | अ. पुं. ष. बहु. |
तव | युष्मद्-द. सर्व. ष. एक. | शिष्येण | अ. पुं. तृ. एक. |
धीमता | धीमत्-त. पुं. तृ. एक. |
पदार्थः
पदम् | अर्थः | पदम् | अर्थः |
आचार्य | भोः द्रोणाचार्य! | तव | भवतः |
धीमता | बुद्धिमता | शिष्योण | छात्रेण |
द्रुपतपुत्रेण | धृष्टध्युम्नेन | व्यूढाम् | व्यूहरूपेण स्थापिताम् |
पाण्डुपुत्राणाम् | पाण्डावानाम् | एताम् | एनाम् |
महतीम् | बृहतीम् | चमूम् | सेनाम् |
पश्य | वीक्षस्व |
अन्वयः
आचार्य! तव धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीं एतां चमूं पश्य।
आकाङ्क्षा
पश्य। | |
कां पश्य? | चमूं पश्य। |
कां चमूं पश्य? | एतां चमूं पश्य। |
कीदृशीम् एतां चमूं पश्य? | महतीम् एतां चमूं पश्य। |
केषां महतीम् एतां चमूं पश्य? | पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
कीदृशीं पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? | व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
केन व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? | द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
कीदृशेन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? | शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
पुनश्च कीदृशेन शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? | धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
कस्य धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य? | तव धीमता शिष्येन द्रुपतपुत्रेण व्यूढां पाण्डुपुत्राणां महतीम् एतां चमूं पश्य। |
अस्मिन् श्लोके सम्बोधनपदं किम् ? | आचार्य! |
तात्पर्यम्
भोः आचार्य! चतुरेण तव शिष्येण धृष्टद्युम्नेन पाण्डवानां महत् सैन्यमिदम् व्यूहरूपेण स्थापितम् अस्ति। इदं पश्य।
व्याकरणम्
सन्धिः
पश्यैतां | पश्य + एताम् | वृद्धिसन्धिः |
महतीं चमूम् | महतीम् + चमूम् | अनुस्वारसन्धिः |
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण | व्यूढां + द्रुपदपुत्रेण | अनुस्वारसन्धिः |
समासः
पाणहुपु्त्राणाम् | पाण्डोः पुत्राः, तेषाम् | षष्ठीतत्पुरुषः। |
द्रुपदपुत्रेण | द्रुपतस्य पुत्रः. तेन | षष्ठीतत्पुरुषः। |
कृदन्तः
व्यूढाम् | वि + वह् + क्त (कर्मणि) |
आचार्यः | आ + चर् + ण्यत्। आचरणीयः (सेवनीयः) आचार्यः। |
तत्वितान्तः
धीमता | धीः + मतृप्, तेन। धीः अस्य अस्मिन् वा अस्ति इति धीमान्। |
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